आयुर्वेद में प्याज़ को अनेकों गुणों का भंडार माना गया है । स्वाद में जरूर चरपरी होती है मगर प्याज़ भख बढ़ाने के लिए बहुत सहायक होती है । स्वांस रोगों के लिए प्याज़ को बहुत गुणशाली माना गया है।
लाल और सफ़ेद २ रंगों में पाई जाने वाली प्याज में प्रोटीन ,वसा , फास्फोरस , लोहा ,विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ।
लाल और सफ़ेद २ रंगों में पाई जाने वाली प्याज में प्रोटीन ,वसा , फास्फोरस , लोहा ,विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ।
- गर्मी के मौसम में जिन्हें लू लगने का भय हो उन्हें २० ग्राम प्याज़ का रस में १० ग्राम शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है ।
- प्याज़ ,अदरक और लहसुन का रस बराबर मात्रा में शहद में मिलाकर यदि भोजन से पूर्व चाटा जाये तो पेट से सम्बंधित बीमारियों से निजात मिलती है ।
- ह्रदय रोगियों को प्रतिदिन एक प्याज़ का सेवन अवश्य करना चाहिए ।
- यदि बार -बार पेशाब आने की बीमारी हो तो प्याज़ के रस में शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है ।
- गठिया के रोगियों को प्याज़ के रस के साथ राइ का तेल मिलाकर और साथ मेथी पाउडर मिलाकर लगाने से आराम मिलता है ।
- चेहरे पर झाइयाँ हो तो प्याज़ के रस में दूध की मलाई बेसन और शहद मिलाकर लगायें और १/२ घंटे एक बाद ठन्डे पानी से धो लें।।
- बालों में रूसी और जुएँ होने पर प्याज का रस नीबू के रस के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर १ घंटे लगाकर रखें और फिर ठन्डे पानी से धो लें ।
- बवासीर में २ चम्मच प्याज़ का रस को चीनी के साथ मिलाकर पीने से आराम मिलता है ।
- गले की खराश में प्याज़ को भूनकर खाएं ।
- बिवायीं होने पर प्याज़ का रस सरसों का तेल मिलाकर लगायें ।
- शरीर पर कहीं मस्सा होने हो तो प्याज़ को चूने के साथ मिलाकर लगाने से मस्सा निकल जाता है ।
- चेहरे पर ,गर्दन पर या शरीर के किसी भी अंग में यदि काला दाग हो तो प्याज़ का रस रगडें ।
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